Arvaz Ahmad

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लेखनी कहानी -17-Jun-2022

किसी ग़ज़ल में जो मेरी कहानी निकली 

आँख से फिर अश्कों की रवानी निकली 
उसके जाते ही वो भी मुझे छोड़ गई 
मेरी तो नींद भी उस शख्स की दीवानी निकली 


मजबूरियों का हवाला देकर रुख को मोड़ गया 
बड़ी होशियारी से वो मेरे  दिल को तोड़ गया
उसे बेबफा भी कैसे कह  दें  यारों
मेरे ख्याल के लिए वो अपनी यादों को छोड़ गया 


हम बेबफाओं से बफा की है  किसी ने 
रात भर जाग कर दुआ की है  किसी ने 
मुमकिन ही नहीं था  जहन्नम से जन्नत की तरफ जाते 
अश्क़ आँखों में सजा कर इल्तिजा की है किसी ने 

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14 Comments

Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:57 PM

बेहतरीन रचना

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Arvaz Ahmad

18-Jun-2022 07:01 PM

Shukriya

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Swati chourasia

18-Jun-2022 09:40 AM

Very beautiful 👌👌

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Arvaz Ahmad

18-Jun-2022 10:29 AM

Shukriya

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Gunjan Kamal

17-Jun-2022 12:54 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Arvaz Ahmad

17-Jun-2022 01:06 PM

Shukriya

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